CTET/TET EVS NCERT:-Things we make & do

चीजें जो हम करते हैं:

पदार्थ: 

जिन वस्‍तुओं में द्रव्यमान होता है और जो स्‍थान घेरती हैं पदार्थ कहलाती हैं। पदार्थ को दो आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है:

भौतिक गुणों के आधार पर पदार्थ का वर्गीकरण:

  • ठोस - पदार्थ का वह रूप जिसका आकार और आयतन निश्‍चित होता है। उदाहरण: पुस्‍तक, सेल फोन, ईंट आदि।
  • द्रव - पदार्थ का वह रूप जिसका आयतन निश्‍चित होता है लेकिन आकार अनिश्‍चित होता है। उदाहरण: पानी, रस, तेल आदि।
  • गैस - पदार्थ का वह रूप जिसका आकार या आयतन दोनों ही पूर्व निर्धारित नहीं होते हैं।

रासायनिक गुणों के आधार पर पदार्थ का वर्गीकरण: ये चार प्रकार के होते हैं-

  • तत्व - पदार्थ जो समान प्रकार के तत्वों से बना होता है। तत्व जिसे आगे धातु या अधातु के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  1. धातु - पदार्थ जिसे नवीन रूप से तैयार करने, पॉलिश करने, या टूटने-फूटने पर एक चमक उत्‍पन्‍न करती हैं, तथा विद्युत और ऊष्‍मा की चालक होती है। उदाहरण: लोहा, तांबा, आदि। धातुएं लचीली या तन्‍य होती हैं, पारे को छोड़कर धातुएं मुख्‍यत: ठोस अवस्‍था में पाई जाती हैं।
  2. अधातु - अधातुओं में लचीलेपन, तन्‍यता, चमक और घनत्व की कमी होती है। इनका गलनांक और क्‍वथनांक बिंदु कम होता है। उदाहरण: सल्फर, कार्बन इत्यादि।
  • यौगिक  यह दो या दो से अधिक तत्वों के निश्‍चित अनुपात में संयोजन से बनता है और इसका निश्‍चित रासायनिक सूत्र होता है। जैसे कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3), जल (H2O) आदि।
  • मिश्रण - यह दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिकों को अनिश्‍चित अनुपात में मिलाकर बनाया जाता है। इन्‍हें पृथक्‍करण विधि द्वारा अलग किया जा सकता है। उदाहरण: मृदा, महासागरीय जल, सीमेंट, धुआं आदि।
  • मिश्र धातु - धातु या किसी अन्य तत्व का मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है। जैसे: 22 कैरेट सोना, इस्‍पात आदि।

 पृथक्करण विधियां:

विभिन्‍न मिश्रणों को अलग करने के लिए विभिन्न विधियों का उपयोग किया जाता है:

ठोस अवयवों को अलग करने के लिए -

  • बीनना - हाथों से की जाने वाली प्रक्रिया जैसे अनाज से कंकड़ बीनना।
  • फटकारना- अनाज के खाए जाने वाले भागों को भूसी से अलग करने के लिए प्रयोग की जाती है।
  • ओसाई - फटकारने के बाद की जाने वाली विधि, अनाज में मिली भूसी को अलग करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
  • छानना (निस्पंदन) - इस विधि में आटे को छानने के लिए चलनी (महीन छिद्र युक्‍त जाली) का उपयोग किया जाता है।
  • चुंबकीय पृथक्करण - चुंबक का उपयोग इस पृथक्करण के लिए किया जाता है और लोहा, कोबाल्ट, निकल, इस्‍पात आदि को पृथक करने के लिए इस विधि का उपयोग किया जाता है।

ठोस और द्रव पृथक्‍करण की विधि -

  • अवसादन - इस विधि के तहत ठोस कण युक्‍त जल बर्तन की निचली सतह पर एकत्र होने लगता है। ठोस कणों का नीचे एकत्र होना गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण होता है।
  • निस्‍तारण - यह विधि अवसादन के बाद की जा सकती है। इस विधि का उपयोग अविलेय द्रव पदार्थ के मिश्रण या द्रव और ठोस के मिश्रण को अलग करने के लिए किया जाता है जैसे प्रलंबन।
  • निस्पंदन - इस विधि में द्रव से ठोस अवयव को अलग करने के लिए एक जाल या फ़िल्टर पेपर का उपयोग किया जाता है। द्रव फिल्टर पेपर या नेट से निकाला जाता है, जिसमें ठोस कण फंस जाते हैं और छाने गए पानी को अलग बर्तन में एकत्र किया जाता है।
  • वाष्पीकरण - इस विधि में ठोस युक्‍त द्रव मिश्रण को गर्म किया जाता है ताकि द्रव वाष्पित हो जाए और ठोस कण शेष रह जाए।
  • केन्द्रापसारण - यह वह विधि है जिसमें कणों को ​उनके आकार, रूप, घनत्व, मध्यम की श्‍यानता और घूर्णन गति के अनुसार विलियन से अलग करने में केन्द्रापसारण बल लागू होता है।
  • आसवन - इस विधि में ठोस और द्रव के मिश्रण को गर्म करके प्राप्‍त वाष्प को एक अलग बर्तन में एकत्र किया जाता है जिससे दोनों अवयव अलग हो जाते हैं।

द्रव मिश्रण से द्रवों का पृथक्करण -

  • कीप विधि से पृथक्करण - इस विधि का उपयोग दो अविलेय द्रवों को अलग करने में किया जाता है जो मिश्रण नहीं होते हैं। कीप में मौजूद तरल पदार्थ दोहरी परतों का निर्माण करते हैं  और एक द्रव ऊपरी परत में और दूसरा द्रव नीचे की परत में एकत्र हो जाता हैं। नीचे की परत का द्रव आसानी से निकाला जा सकता है और ऊपरी परत का द्रव शंकु में शेष बच जाता है। इस प्रकार, दो द्रव अलग हो जाते हैं।
  • आंशिक आसवन  आंशिक आसवन मिश्रण को उसके घटक भागों, या खंडों में पृथक करना है। रासायनिक यौगिकों को उस तापमान पर गर्म करके अलग किया जाता है, जहां मिश्रण के एक या अधिक भाग वाष्पीकृत हो जाते हैं। इसके बाद वाष्प को प्रत्येक तापमान के लिए अलग बर्तन में एकत्रित और संघनित किया जाता है। उदाहरण के लिए – पेट्रोलियम।

बल एवं घर्षण:

 बल को धक्‍के और खिंचाव या वस्‍तु के स्थान परिवर्तन के कारण किसी वस्तु को धक्‍का देने या खींचने के रूप में वर्णित किया जा सकता है। जबकि घर्षण वह बल है जो किसी धक्‍के या खिंचाव के कारण गति का विरोध करता है। घर्षण बल, प्रेरक बल की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता है। उदाहरण के लिए - ब्रेक लगाकर साइकिल, बाइक, कार इत्यादि को रोकना या लिखते समय पेन की नोक और कागज के बीच घर्षण होता है।

चीज़ें जो हम करते हैं:

खेल - शारीरिक परिश्रम और कौशल से जुड़ी एक गतिविधि जिसमें एक व्यक्‍ति या टीम मनोरंजन के लिए किसी अन्य या दूसरों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करती है। कुछ प्रसिद्ध खेल और उनके खिलाड़ी निम्‍नलिखित हैं-

प्रसिद्ध खेल एवं खिलाड़ी:

  • हॉकी- मेजर ध्यानचंद
  • क्रिकेट - सचिन तेंदुलकर, एम.एस. धोनी, विराट कोहली
  • बैडमिंटन - गोपीचंद, साइना नेहवाल, पी.वी. सिंधु
  • लॉन टेनिस - महेश भूपति, लिएंडर पेस, सानिया मिर्जा
  • कुश्ती - सुशील कुमार, योगेश्‍वर दत्‍त, साक्षी मलिक
  • मुक्केबाजी – एम.सी. मैरीकॉम, विजेंद्र सिंह
  • निशानेबाजी - अभिनव बिंद्रा
  • एथलेटिक्स – पी.टी. ऊषा
  • भारोत्‍तोलन - कर्णम मल्लेश्‍वरी

नृत्य - नृत्य प्रदर्शन कला का एक रूप है जिसमें मनुष्‍य की गतिविधि का उद्देश्य पूर्ण ढंग से चयनित अनुक्रम शामिल होता है। इस गतिविधि (मूवमेंट) में कलात्‍मक और सांकेतिक मान होते हैं और इसे किसी विशेष संस्कृति के तहत कलाकारों और पर्यवेक्षकों द्वारा नृत्य के रूप में जाना जाता है।

भारत में नृत्य के प्रकार:

  • भरतनाट्यम - तमिलनाडु
  • कुचीपुड़ी - आंध्र प्रदेश
  • ओडिसी- ओडिशा
  • मणिपुरी - मणिपुर
  • गरबा - गुजरात
  • भांगड़ा और गिद्दा - पंजाब
  • बांस नृत्य - मिजोरम 
  • घूमर - राजस्थान
     
  • कथक - उत्‍तर प्रदेश
  • कथकली - केरल
  • बिहू - असम

भारत में पर्व - एक पर्व आम तौर पर एक समुदाय द्वारा मनाया जाता है और उस समुदाय और उसके धर्म या संस्कृतियों के कुछ विशिष्‍ट पहलुओं पर केंद्रित होता है।

भारत और उनके राज्यों के पर्व:

  • ओणम - केरल
  • गणेश चतुर्थी – महाराष्‍ट्र
  • बैसाखी - पंजाब
  • पोंगल - तमिलनाडु
  • लोसर - सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश
  • दुर्गा पूजा - पश्‍चिम बंगाल
  • छठ - बिहार
  • उगादी - अरुणाचल प्रदेश

चीज़ें जो हम बना सकते हैं:

भारत में हम विभिन्न चीज़ें बना सकते हैं:

कला एवं शिल्प - कला एवं शिल्प विभिन्न प्रकार के क्रिया-कलापों का वर्णन करता है जिसमें चीजों को अपने हाथों से बनाना शामिल है।

चित्रकला  चित्रकला विभिन्न प्रकार की होती हैं:

  • चित्रकथी चित्रकला (महाराष्‍ट्र) - यह चित्रकला कहानी का वर्णन करती है और इसके निर्माण में केवल प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है।
  • कलमकारी चित्रकला (आंध्र प्रदेश) – कपड़ों पर ब्लॉक प्रिंटिंग के रूप में की जाती है और इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है।
  • महबूबनी चित्रकला (बिहार) – पत्‍ते, फूल और जानवरों, पक्षियों और मनुष्यों जैसी प्राकृतिक वस्‍तुओं को चित्रित किया जाता है, प्राकृतिक रंग (नील, हल्दी और सामान्य फूलों से रंग) का उपयोग, चित्रकारी की सुंदरता के लिए चावल के चूर्ण का उपयोग किया जाता है।
  • पाटा चित्रकला (ओडिशा) - कपड़े पर की जाती है और प्राकृतिक रंगों या खनिजों का उपयोग किया जाता है।
  • फाड चित्रकला (राजस्थान) - कपड़े पर की जाती है।

 पारंपरिक कला:                                                         

पारंपरिक कला

क्षेत्र या राज्‍य

जामदनी

पश्‍चिम बंगाल

पटोला

गुजरात

बंदना डिजाइन

राजस्‍थान और गुजरात

चिकनकारी

लखनऊ

मूगा सिल्‍क

असम

पोचम्‍पाली

आंध्र प्रदेश

इत्र उद्योग

कन्‍नौज

पश्‍मीना शॉल

जम्‍मू और कश्‍मीर

नोट: पश्मीना शॉल छह स्वेटर जितना गर्म होता है। यह बहुत पतला और ऊष्‍मादायक होता है। यह शॉल बकरी की ऊन से बना होता है जो 5000 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती हैं। यह शॉल केवल हाथों से बनाया जाता है। एक शॉल की बुनाई के लिए 250 घंटे की आवश्यकता होती है।

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